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Saturday, January 28, 2012


सच लिख ,सच की बात कर
झूठ तोहीन है ,सच का साथ कर /
   राह ईमान की चल ,ना मात कर ,
  सफ़र कटेगा ,प्रेम की बात कर/
       पांव जमीन पर रख ,नजर आसमान कर ,
         शिखर छू जाएगा ,छूने का अरमान कर /
राह  नेकी पर चल ,बदी त्याग कर ,
मंजिल मिलेगी यकीनन,'बाहिया' होंसला साथ कर /

MONDAY, JANUARY 16, 2012

धुंधली सुबह .....पुरानी राह से एक आहट सुनाई दी . मैंने पुच्छा....कोन ?.....
................
फिर पुच्छा ...कोन हो भाई ?
तुम्हारा बच्चपन...;. . इतना कहने आया था --मेरी उंगली थामे चलो गे तो सफ़र अच्छा कट जाएगा .वर्ना तो आज की दुनिया में ..बड़ा बनने के चकर में चक्रघिन्नी हो जाओगे ......................

virah विरह

सालों पहले ....एक सर्द रात.....;उसके नयनों से टपक बूँद पलकों पर ठहर गई /.

....;'.मोती ....नहीं ....नहीं, ...,डायामोंड ....चकाचोंध करती रश्मिया ...'.अकस्मात मेरे मुख से निकला .

''उपमाओं से आंसुओं की कीमत कम मत करो .......''....वह बोली ......

बाहर..विरह की वेदना में बिलखते कुत्तों का विलाप सन्नाटे को चीर गया ....

भीतर ..पलक से टपकी बूँद ..उसके गलों पर बिखर समुदर हो गई ........तब पहली बार बूँद को समंदर होते देखा .........................

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