धुंधली सुबह .....पुरानी राह से एक आहट सुनाई दी . मैंने पुच्छा....कोन ?.....
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फिर पुच्छा ...कोन हो भाई ?
तुम्हारा बच्चपन...;. . इतना कहने आया था --मेरी उंगली थामे चलो गे तो सफ़र अच्छा कट जाएगा .वर्ना तो आज की दुनिया में ..बड़ा बनने के चकर में चक्रघिन्नी हो जाओगे ......................
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फिर पुच्छा ...कोन हो भाई ?
तुम्हारा बच्चपन...;. . इतना कहने आया था --मेरी उंगली थामे चलो गे तो सफ़र अच्छा कट जाएगा .वर्ना तो आज की दुनिया में ..बड़ा बनने के चकर में चक्रघिन्नी हो जाओगे ......................
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